ज़ोन 7: में सजी है अवैध निर्माणों की मंडी, बिल्डरों से चल रहा है वसूली का खेल
ईमानदार छवि के वीसी की छवि हो रही है धूमिल
भाजपा नेता ने शासन और मंडलायुक्त को (ज़ोनल अधिकारी) के विरुद्ध कार्यवाही के लिए पत्र लिखा
उच्च न्यायालय के साथ शासन और प्राधिकरण के उपाध्यक्ष द्वारा अवैध निर्माणों पर जहां एक ओर कड़े तेवर अपनाये जा रहे हैं। वही प्रवर्तन ज़ोनल अधिकारियों द्वारा खुले तौर पर अनाधिकृत निर्माणों को संरक्षण देकर अपनी जेबे भरी जा रही।
यूं तो प्रवर्तन विभाग के (सातों ज़ोनो) में
एलडीए अधिकारियों और बिल्डरों का गठजोड़ फल फूल रहा है।
मगर प्रमुख रूप से (ज़ोन:7) अवैध निर्माण की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंडल प्रभारी जितेंद्र कुमार द्वारा प्रमुख सचिव आवास, मंडलायुक्त और उपाध्यक्ष को साक्ष्यो सहित भेजे गए पत्र में ज़ोन 7 के ज़ोनल अधिकारी राजीव कुमार यादव पर काफी गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
*”बड़े साहब” ट्रैफिक नियमों का भी पालन नहीं करते*
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बड़े साहब नहीं करते ट्रैफिक नियमों का पालन। जी हां बृहस्पतिवार को बड़े साहब स्कूटी के माध्यम से ठाकुरगंज क्षेत्र में तंग गलियों में पहुंचकर निर्माण तलाश कर रहे थे। गाड़ी स्कूटी सुपरवाइजर चला रहा था। जो हेलमेट नहीं लगाए था और ना ही बड़े साहब हेलमेट पहने थे। इससे जाहिर होता है कि बड़े साहब को ट्रैफिक नियम का पालन करने की चिंता नहीं बल्कि अवैध निर्माण उनका टारगेट है। हैरत की बात क्या है कि पुलिस अधिकारी भी खामोशी?
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उनका आरोप है कि जोनल अधिकारी अपने जोन के सभी क्षेत्रों ठाकुरगंज, चौक , सहादतगंज, दुबग्गा, आंशिक काकोरी, आंशिक वजीरगंज और आंशिक तालकटोरा में चल रहे अवैध निर्माण से बड़े ही सोनियोजित तरीके से लाखों की वसूली कर रहे हैं।
जो बिल्डर पैसा नहीं देता है उसकी कालम उठने से पहले ही सील कर दिया जाता है। जबकि नादान महल रोड, नखास, यहियागंज, शास्त्री नगर, टूरिया गंज, ठाकुरगंज मुख्य मार्ग, रिंग रोड, गोमती नदी के बंदे के किनारे, मंडप, डैडी कूल स्कूल के निकट, बालागंज, सहादतगंज में पत्थर कटों के पास, जहां गगन चुंबी इमारत को खुला लाइसेंस दे दिया गया है। वही कार्रवाई की ज़द में आई व्यावसायिक निर्माण को अभय दान दिया गया है।
अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरफराज गंज में एक विशाल व्यावसायिक बिल्डिंग को दो बार सील करने के बावजूद उसके मालिक के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। जबकि ऐसे ही प्रकरण में चौक में मुकदमा लिखाया जा चुका है। जो बिल्डर मैनेज हो जाता है उसका अवैध निर्माण की ओर से आंखें बंद कर ली जाती है। जबकि जो इनके जाल में नहीं फसता है उसकी तरह-तरह से प्रताड़ित करके उसकी जेब खाली कराई जाती है।
इस तरह के दर्जनों मामले क्षेत्र में देखे जा सकते हैं। अगर इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए तो बड़े साहब पर कार्रवाई होना संभव होगा। इसके और भी बड़े साहब को प्रवर्तन विभाग से अवैध निर्माणों को संरक्षण देने के आरोप में हटाया जा चुका है। उस समय यह लालबाग स्थित कार्यालय में विराजमान रहते थे।
*पद की गरिमा को भी नहीं समझते ब ड़े साहब*
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प्राधिकरण के हालात यह है कि अब अवर अभियंता और सहायक अभियंता की जिम्मेदारी जोनल अधिकारी ने उठा रखी है। इस पूरे खेल में बड़े साहब अधिकारियों के बजाय सुपरवाइजरों पर भरोसा करते हैं। उनको अपने साथ ले जाते हैं और अवैध निर्माण चिन्हित करवाते हैं। बाद में सभी बिल्डरों को कार्यालय बुलाया जाता है और बड़े ही सुनियोजित तरीके से गुप्त रूप से उनसे पैसा वसूल लिया जाता है। सुपरवाइजर का कमीशन भी 10 से 20 प्रतिशत कर दिया गया है। मगर इस व्यवस्था को लेकर अवर अभियंता और सहायक अभियंता ने जोनल अधिकारी के विरुद्ध कुछ ना कहते हुए भी। सब कुछ कहना शुरू कर दिया है।
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सबसे बड़ा सवाल यह है की अवैध निर्माण हो जाता है तब जोनल साहब की गाड़ी मौके पर पहुंचती है और फिल्मी अंदाज में डायलॉग बोलकर बिल्डर को खूब डराया धमकाया जाता है। यहां तक उसकी बिल्डिंग को गिराने की भी धमकी दी जाती है और उसे एक मोबाइल नंबर देकर कार्यालय बुलाया जाता है। जहां बड़े साहब के करिंदे बिल्डर से डीलिंग करते हैं। विजिलेंस से बचने के लिए बड़े साहब खुद पैसा नहीं लेते हैं। बाल मे उसका पूरा इंटरव्यू लिया जाता है।
जैसे जमीन कितनी है? उसे पर कितने फ्लोर बने हैं? कितने दिनों में निर्माण पूरा हो जाएगा? मानचित्र पास है कि नहीं? इसके अलावा तरह-तरह के अन्य प्रश्न उससे किए जाते हैं और बाद में उसको मानसिक तौर पर प्रताड़ित करके डील सेट हो जाती है। घबराया बिल्डर तुरंत पैसे का इंतजाम करता है और बॉस तक पैसा पहुंचा दिया जाता है।
*ज़ोनल अधिकारी पर भी गिर चुकी है “गाज”*
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पूर्व में अवैध बिल्डिंग में निर्माण कार्य चालू होने की शिकायत पर मण्डलायुक्त ने प्रवर्तन जोन-7 के जोनल अधिकारी अरविंद त्रिपाठी को प्रतिकूल प्रवृष्टि दी। कार्य में शिथिलता व लापरवाही बरतने पर प्रवर्तन जोन-6 के सहायक अभियंता लल्लन प्रसाद को चार्जशीट करते हुए कार्यवाही के लिए शासन को पत्र प्रेषित करने के निर्देश दिए। वही जोनल अधिकारी राजकुमार के विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है। बाद में सभी आरोपियों को हटा दिया गया।
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बाद में यही पैसा उनके घर तक भी पहुंचाया जाता है।
अभी एक मामले में तो उनको भी पैसा वापस करना पड़ चुका है। जिस प्रकार अवर अभियंता रवि यादव को पैसा लेकर निर्माण कराने का आरोप लगा और बाद में उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई। ठीक उसी तरह यहां भी यही खेल चल रहा है।
छठे फ्लोर पर स्थित कार्यालय के बाहर मानो बिल्डरों का मेला लगा रहता है। विसी साहब के कार्यालय से ज्यादा यहां भीड़ रहती है। क्योंकि यहां एक-एक बिल्डर को बुलाकर डील की जाती है।
और बाद में प्रकरण मैनेज होने पर उसे हरी झंडी दिखा दी जाती है।
बड़े साहब चील की निगाह रखते हैं और ज़ोन में होने वाले सभी निर्माण की एक सूची उन्हें ने तैयार कर रखी है।
कुल मिलाकर ज़ोन 7 प्राधिकरण में चर्चा का विषय बना हुआ है और अधिकारियों के कानों तक भी इसकी भनक पहुंच रही है। माना जा रहा है कि जल्दी जोनल अधिकारियों के कार्य क्षेत्र में बदलाव किया जा सकता है। हालांकि वीसी द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
मौजूदा समय में प्राधिकरण की व्यवस्थाएं पूरी बदल चुकी है और सारे ज़ोनल अधिकारियों के हाथ में है।
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बड़े साहब भूले “प्रोटोकॉल”
“बड़े साहब” प्रोटोकॉल भी भूल गए। आपको बता दें कि अनाधिकृत निर्माणों से संबंधित जो प्रकरण मंडलायुक्त कोर्ट में अपील के लिए दाखिल हो जाते हैं। उन मामलों में विहित प्राधिकारी न्यालय तथा प्राधिकरण के अधिकारियों को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। बावजूद इसके बड़े साहब अब मंडलायुक्त कार्यालय में चल रहे प्रकरण से संबंधित बिल्डरों को भी अपने कार्यालय में तलब करना शुरू कर दिये है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता इसका अंदाजा तो आप बाखूबी लगा सकते हैं।
हालांकि पूर्व में चिनहट रोड पर इसी तरह के एक प्रकरण में एलडीए के एक सहायक अभियंता और एक अवर अभियंता पर एक लग्ज़री गाड़ियों के शोरूम को सील करने के मामले में मंडलायुक्त द्वारा कार्यवाही की जा चुकी है।
अंकुर त्रिपाठी (LIVE UP NEWS)