उ0प्र0 स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस, लखनऊ में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के सन्दर्भ में कानून और फारेंसिक के बीच समन्वय” विषय पर कार्यशाला संपन्न

उ0प्र0 स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस, लखनऊ में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के सन्दर्भ में कानून और फारेंसिक के बीच समन्वय” विषय पर कार्यशाला संपन्न

उन्नति के लिए समाज के सभी अंगों का सम्मिलित रूप से कार्य करना आवश्यक है*: डॉ0 जी0के0 गोस्वामी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस, लखनऊ में आज “राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के सन्दर्भ में कानून और फारेंसिक के बीच समन्वय” विषय पर कार्यशाला आयोजित किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो0 शशिकला वंजारी (यूजीसी सदस्य एवं मा0 कुलपति NIEPA नई दिल्ली), विशिष्ट अतिथि डॉ0 अमर पाल सिंह, आर0एम0एल0यू0, लखनऊ तथा डॉ0 दिनेश शर्मा, विभागाध्यक्ष, के0 एम0 राजकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गौतमबुद्धनगर सहित संस्थान के निदेशक डॉ0 जी0के0 गोस्वामी ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

यूपीएसआईएफएस, लखनऊ के संस्थापक निदेशक डॉ0 जी0के0 गोस्वामी ने कहा कि समाज में जितनी अच्छाई होगी, समाज उतना ही उन्नति करेगा । समग्र उन्नति के लिए समाज के सभी अंगों का सम्मिलित रूप से कार्य करना परम आवश्यक है । उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कानून के सदर्भ में तीन विषयों न्याय, तार्किकता एवं पारदर्शिता का प्रमुख रूप से उल्लेख करते हुए इसके महत्व को परिभाषित किया । उन्होंने छात्रों को केस स्टडी के माध्यम से फारेंसिक साइन्स के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि फारेंसिक साइंस के माध्यम से सच्चाई को वैज्ञानिक रूप से कानून के समक्ष ला कर न्याय दिलाने में सहयोग करना ही हमारा कार्य है ।

कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो0 शशिकला वंजारी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 का उद्देश्य बहुयामी शिक्षा को बढावा देना है। उन्होंने बताया कि आप जो सोचते हैं, वही आप हैं, आप जो करते हैं, वही आप बन जाते हैं। आपका विश्वास आपका कार्य को निर्धारित करता है । उन्होंने कहा कि हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए और मिलकर भारत को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य करते रहना चाहिए, साथ ही हमें एक अच्छा इंसान बनने का प्रयास भी करना चाहिए l उन्होंने अरविंदो घोष का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय आत्मा के स्वभाव और संस्कृति के अनुरूप शिक्षा की आवश्यकता है । भारत के विकासशील आत्मा एवं भविष्य की जरूरतों के प्रति भी हम उत्तरदायी है।


इस अवसर पर अतिथि-वक्ता डॉ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में पूरे देश को अलग अलग खण्ड में विभाजित किया गया है, इसमें छात्र अपनी रूचि के अनुसार विषयों का चयन कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि केवल विषय परीक्षा आधारित छात्रों का मूल्यांकन नही किया जायेगा बल्कि उनके विषय-रूचि, व्यवहार और आचरण का भी मूल्यांकन होना चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति के विषय मे अधिक जानकारी के लिए छात्रों को उत्साह पोर्टल विजिट करने भी सलाह दी।
इस अवसर पर प्रो0 अमरपाल सिंह, कुलपुति, आर0एम0एल0यू0, लखनऊ ने कहा कि अनुसंधान कौशल का एक समूह है। जिसको किसी एक भाषा से बढावा नहीं दिया जा सकता, उसके लिए बहुभाषीय और स्थानीय भाषा का उपयोग करने की आवश्यकता है। इसके लिए छात्रों को विभिन्न भाषा के क्षेत्र में कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने सीखने के लिए भगवत गीता के संदर्भ से छः प्रत्यया, अनुमान, उपमान, शब्द, अनुच्छेदित एवं अर्थपति प्रमुख तथ्यों पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर निदेशक डॉ0 गोस्वामी ने संस्थान में आये समस्त वक्तागण-अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम मे उपनिदेशक श्री चिरन्जीव मुखर्जी, सहायक रजिस्ट्रार सीएम सिंह, डॉ0 श्रुतिदास गुप्ता, विभागाध्यक्ष एसपी राय, डॉ0 अरूण खत्री, डॉ0 रोशन, जनसंपर्क अधिकारी श्री संतोष तिवारी, प्रतिसार निरीक्षक श्री बृजेश सिंह सहित संस्थान के शैक्षणिक संवर्ग के संकाय डॉ0 सौरभ सिंह, डॉ0 अजीत कुमार, डॉ0 आशीष राज, डॉ0 सपना शर्मा, डॉ0 अभिषेक एवं अन्य स्टाफ उपस्थित रहे।

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